खटटर साहब! क्या यही है मिड डे मिल
महेश्वरी स्थित सरकारी स्कूल का मामला
यहां पर सरकारी नियमो की खुलेआम उड़ती धज्जियां
गंदगी के बीच जमीन पर बैठ खाना खाने को विवश नौनिहाल
शिक्षक बोले; टाट पर बैठाकर खिलाते हैं खाना
बच्चों ने शिक्षकों के झूठ से उठाया पर्दा
कहा; हमेशा जमीन पर ही बैठकर खाते हैं खाना
रसोई में भी खाना बनाने का नहीं है कोई मापदंड
वैसे तो आजकल हर कहीं निजी स्कूलों का भारी बोलबाला है।सरकारी स्कूलों में बच्चों को दाखिले के लिए सरकार द्वारा आए दिन तरह तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि इन स्कूलों में बच्चों की ज्यादा से ज्यादा हो सके, लेकिन धरातल पर तस्वीर सरकार के इन दावों से बिलकुल अलग है और जिन शिक्षकों के कंधों यह जिम्मेदारी है, वे सरकारी नियमो की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। ,ऐसे में देश का भविष्य कहलाने वाले नौनिहाल भारी गंदगी के बीच जमीन पर बैठकर मिड डे मिल खाने को विवश हैं।
तस्वीरों में आप जिन बच्चों को जमीन पर बैठकर खाना खाते हुए देख रहे हैं, ये वही नौनिहाल हैं, जो शिक्षकों की बेरुखी का शिकार हैं और आज तक उन्हें बैठने के लिए टाट तक नसीब नहीं हो सकी है। शिक्षक जहाँ यह दावा करते नहीं थक रहे कि बच्चो को टाट पर बैठाकर ही खाना खिलाया जाता है, वहीं बच्चे शिक्षकों की झूठ से पर्दा उठाते हुए यह कहने से नहीं चूक रहे कि उन्हें आज तक टाट मिली ही नहीं।
वहीं हैरानी की बात यह है कि शिक्षकों को यह तक नहीं पता कि आज स्कूल में कितने बच्चो का खाना बना है और खाना बनाने के क्या मापदंड हैं। इतना नहीं रसोई में मापतोल के किये भी कुछ नहीं है और यहां सब कुछ रामभरोसे ही चल रहा है।
इस पर जब शिक्षकों का पक्ष जानना चाहा तो वे कोई उचित कारण की बजाय केवल सफाई देते ही नजर आए। उनका कहना था कि यह तो आज स्कूल में कार्यक्रम होने के कारण हुआ है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या संज्ञान लेती है या फिर बच्चो के साथ यह खेल ऐसे ही चलता रहेगा। दिनेश चौहान की रिपोर्ट .