दिल्ली को बेहतर बनाना बीजेपी की नज़र में एक गुनाह

दिल्ली को बेहतर बनाना बीजेपी की नज़र में एक गुनाह

शिक्षाविद के तौर पर दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम करना बीजेपी की नज़र में एक गुनाह

मैंने ढाई रुपए के मेहनताने पर दिल्ली की जनता के लिए काम किया, गृह मंत्रालय को दे रहा हूं वापस राघव चड्ढा

आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के सलाहकारों की नियुक्तियों को रद्द करने का फ़ैसला केंद्र की मोदी सरकार ने राजनीतिक द्वेष और दिल्ली सरकार में हो रहे जनहित के कार्यों को ठप्प करने के लिए लिया है। भाजपा की नज़र में ऑक्सफ़ोर्ड से एजुकेशन में डबल मास्टर्स करने वाली आतिशी मारलीना को जनता के लिए काम नहीं करना चाहिए बल्कि साधु-बाबाओं को सरकार में होना चाहिए।

प्रैस कॉंफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि ‘आम आदमी पार्टी ने फरवरी 2015 में सरकार बनाई थी और दिल्ली की जनता से कई सारे वादे किए थे और सरकार बनाने के बाद कुछ विशेषज्ञों को सरकार ने काम कराने के लिए नियुक्त किया  था ताकि जनता के काम जल्द से जल्द से हो सकें। उस लिस्ट में आतिशी मारलीना समेत मेरा नाम भी था। हम लोग निस्वार्थ भाव से सरकार के लिए काम कर रहे थे, यह बड़ा हैरान करने वाला है कि तीन साल बीत जाने के बाद केंद्र सरकार ने उन सलाहकारों की नियुक्तियों को रद्द किया है।

हम आपका ध्यान दिलाना चाहेंगे कि जिस प्रकार से बीजेपी राजनीतिक नियुक्तियां करती है उसमें किसी भी प्रकार की कोई योग्यता नहीं देखी जाती, संबित पात्रा को ओएनजीसी में बड़े पद पर नियुक्त किया गया, शाज़िया इल्मी को एक पब्लिक सेक्टर यूनिट में बड़े पद पर नियुक्त किया गया और मध्य प्रदेश में एक साधु-बाबा को मंत्री के तौर पर नियुक्त करना और सभी को भारी रकम और घर-गाड़ी-बंग्ला देना बीजेपी की नज़र में सही है लेकिन बीजेपी के मुताबिक आतिशी मारलीना जैसे लोगों को काम करने का कोई हक़ नहीं है जो सिर्फ़ 1 रुपए प्रति माह की तनख्वाह पर दिन-रात दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए काम कर रहे थे।

मैं चार्टर्ड अकाउंटेंट के तौर पर काम करता हूं और मैंने 75 दिन सरकार के लिए काम किया था जिसमें मैंने बजट बनाने में सरकार की सहायता की और इस काम के लिए मुझे सरकार की तरफ़ से ढाई रुपए का मेहनताना मिला था। मैं इस ढाई रुपए की रकम का डिमांड ड्राफ्ट अपने ख़त के साथ अब गृह मंत्रालय को भेज रहा हूं ताकि मैं मोदी सरकार का ये अहसान उतार सकूं।

प्रैस कॉंफ्रेंस में बोलते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि ‘आखिर तीन साल बाद ही क्यों ये फ़ैसला मोदी सरकार की तरफ़ से लिया गया?जिस प्रकार से भाजपा शासित राज्यों में रेप और महिला उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही है और भाजपा इनमें निशाने पर है, ज़ाहिर है इन सबके बीच अचानक से मोदी सरकार को यह अहसास हुआ कि स्कूलों को बेहतर करना, मोहल्ला क्लीनिक बनाना और बिजली-पानी में लोगों को राहत देना ग़लत है और उन सब लोगों को निकाल बाहर किया जाए जो दिल्ली के स्कूलों को बेहतर कर रहे हैं।

मोदी सरकार के द्वारा दिल्ली सरकार के 9 सलाहकारों की नियुक्तियों को रद्द करना पूरी तरह से हास्यास्पद है। यह कोई पहला मौका नहीं है बल्कि कई बार मोदी सरकार ने ऐसे हास्यास्पद फ़ैसले लिए हैं। चाहे वो संसदीय सचिव के मामले में विधायकों की सदस्यता का मामला रहा हो या फिर रोगी कल्याण समिति का मामला हो जिसमें उन विधायकों को भी नोटिस जारी कर दिया गया था जो इन समितियों का हिस्सा थे ही नहीं।

शिक्षा सलाहकार के तौर पर काम करने वालीं आतिशी मारलीना जैसे विशेषज्ञों का गुनाह सिर्फ़ ये है कि वो ऑक्सफ़ोर्ड से एजुकेशन में डबल-मास्टर्स हैं और एक बेहतरीन शिक्षाविद हैं और साथ ही वो दिल्ली के स्कूलों को बेहतर बनाने का काम कर रही थीं। दरअसल भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की जनता से अपनी हार का बदला बार-बार ले रही है क्योंकि ज़ाहिर तौर पर वो हार मोदी जी को बार-बार कचोटती है।

मोदी जी के हिसाब से इस देश में योग्यता का एक ही पैमाना है कि अगर आप संघ के सदस्य हैं या फिर बीजेपी के सदस्य हैं तो आप किसी भी पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं, लेकिन अगर आप एक शिक्षाविद हैं और दिल्ली की जनता या देश की जनता के हित में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं तो आपका ये गुनाह है और मोदी राज में आपको इस गुनाह की सज़ा के तौर पर निकाल बाहर कर दिया जाएगा।

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