बंगले में तोड़फोड़,अखिलेश बोले टोंटी चोर नहीं
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सरकारी बंगले में तोड़फोड़ मामले को लेकर मीडिया से मुखातिब हुए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश के हाव-भाव बेहद ही आक्रामक थे, और वो उसी अंदाज में इस मामले को लेकर योगी सरकार, गवर्नर और अधिकारियों पर बरसे.
अखिलेश यादव के बंगला विवाद में उत्तर प्रदेश के राज्य संपत्ति विभाग को छोड़कर सबके बयान आ गए हैं. ऐसे में ये साफ नहीं है कि 4 विक्रमादित्य मार्ग के बंगले में हुई तोड़फोड़ से किसके पैसे का नुकसान हुआ है? अखिलेश यादव का, PWD का, राज्य संपत्ति विभाग का या उत्तर प्रदेश की जनता का.
बहरहाल, इस मामले में सियासत, बयानबाजी और बतकही कहीं आगे बढ़ चुकी है. अखिलेश-समर्थक उन्हें दूध का धुला बता रहे हैं, जिनसे बीजेपी की सरकार उप-चुनाव की हार की खुन्नस निकाल रही है. वहीं लखनऊ में बीजेपी-समर्थक मजबूती से ये पूछ रहे हैं कि क्या अखिलेश के बंगले में सोना गड़ा हुआ था, जिसे निकलवाने के लिए उन्होंने अपने घर में खुदाई कराई. बीजेपी-समर्थक अपने पक्ष में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का बयान भी गिनाते हैं, जो उन्होंने 13 जून को दिया. `
अखिलेश ने सबसे पहले राज्यपाल राम नाइक पर अपनी भड़ास निकाली. उन्होंने कहा, ‘गवर्नर साहब अच्छे आदमी हैं. उन्हें संविधान के हिसाब से बोलना चाहिए, लेकिन कभी-कभी उनके अंदर आरएसएस की आत्मा आ जाती है तो क्या करें.’ दरअसल बंगले में तोड़फोड़ मामले पर राज्यपाल ने ही कार्रवाई करने के लिए राज्य की योगी सरकार से सिफारिश की है.
उसके बाद अखिलेश इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बरसे, अखिलेश ने कहा कि हमें तो पांच साल बाद लखनऊ में घर ढूंढना पड़ा, लेकिन इनको तो कभी भी खोजना पड़ सकता है. ये क्या करेंगे? अखिलेश यही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि घर की सुंदरता घर वालों से आती है. मैं चाहता हूं कि हमने जो बंगला खाली किया वो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को मिलना चाहिए.
7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व-मुख्यमंत्रियों को आदेश दिया कि वो अपना-अपना सरकारी बंगला खाली कर दें. इसके बाद मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने राज्य संपत्ति विभाग को पत्र लिखकर बंगला खाली करने के लिए दो साल का वक्त मांगा. संपत्ति विभाग ने न्याय विभाग से सलाह-मशविरा किया और समय देने से इनकार कर दिया. बताया ये भी जा रहा है कि बंगले से जुड़ी रियायत पाने के लिए मुलायम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिले थे, लेकिन कालिदास मार्ग से उन्हें कोई मदद नहीं मिली.
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