ममता के बंगाल के जलने पर Darbari Media क्यों है चुप ? | Murshidabad Violence | Waqf Bill | Sach Ki Raftar
बंगाल में लगी ऐसी आग कि ट्रेन स्टेशन से लेकर हिंदू होटल तक वीडियो ऑफिस से लेकर बस कुछ भी सुरक्षित दिखाई नहीं देता वक़्फ़ के लिए प्रोटेस्ट करने वालों ने बंगाल को लगभग अगवा कर लिया है। हां ममता बनर्जी बंगाल को आग में झुलसकर भी चुप है क्योंकि उनके बंगाल के कान में ममता दीदी का वह वाक्य लगातार गूंज रहा है जे गोरू दूध दे तार लाती खेते होए मतलब जो गाय दूध देती है उसका लात भी खाना होता है।
ममता बनर्जी के लिए समुदाय विशेष वही दूध देने वाली गाय हैं लेकिन इन सबके बीच एक बात जो नोटिस करने वाली है वो है दरबारी मीडिया की चुप्पी इंडिया टुडे के कथित पत्रकार राजदीप सर देसाई जो भाजपा शासित राज्यों में हुई किसी भी घटना पर टिप्पणी करने से खुद को नहीं रोक पाते वो आज बंगाल में लगी इस आग पर मौन व्रत रख के बैठ गए हैं. वैसे हम सर देसाई जी से और एक्सपेक्ट भी क्या कर सकते हैं इनकी धर्मपत्नी ठहरी टीएमसी की सांसद ऐसे में सर देसाई जी क्या ही करेंगे। मैंने दोनों मियां बीवी के Twitter टाइमलाइन स्क्रॉल कर ली पर मुझे उसमें मुर्शिदाबाद में हुए हमले पर एक ट्वीट भी नहीं दिखा पर दोस्तों इस दरबारी मीडिया की हिपोक्रेसी एक्सपोज करने से पहले जरा हम आपको बंगाल का हाल बता देते हैं। तो शुक्रवार को बंगाल के मुर्शिदाबाद में समुदाय विशेष के कट्टरपंथियों की भीड़ ने वक्त के खिलाफ विरोध करते-करते पूरे शहर में तोड़ा फोड़ी पत्थरबाजी और आग लगाना शुरू कर दिया।
निमटीटा स्टेशन पर खड़ी ट्रेन पर पत्थर फेंके गए भीड़ ने स्टेशन की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया और हालत इतनी खराब हो गई कि उस हिंसा में सात से 10 पुलिसकर्मी और कुछ यात्री भी घायल हुए इसके अलावा मुर्शिदाबाद में प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई और उन्होंने वाहनों में आग लगा दी तथा तोड़फोड़ की जिससे प्रदर्शन हिंसक हो गया और खबरों की मानें तो कट्टरपंथियों की इस भीड़ ने रेलवे ट्रैक्स को भी घंटों तक ब्लॉक रखा तो यहां ममता बनर्जी सरकार से प्रश्न उठने चाहिए कि राम नवमी के अवसर पर हिंदुओं की रैलियों पर इसलिए रोक लगा दी जाती है ताकि वह कहीं हिंसक होकर लड़ाई झगड़ा ना शुरू कर दें लेकिन वक़्फ़ को लेकर निकाले जा रहे जुलूस का ये इकोसिस्टम कभी कोई बैन नहीं लगाता और उसी का नतीजा आज ये है कि वक़्फ़ के खिलाफ निकाला गया जुलूस हिंसक बन चुका है और इसी बीच जैसा मैंने पहले भी कहा था कि हमारे दरबारी मीडिया के गैंग मेंबर्स चुप्पी साध कर बैठे हैं।
मैंने तो सिर्फ आपको अभी तक पति-पत्नी की जोड़ी की टाइमलाइन दिखाई थी चलिए इनके कुछ और सो कॉल्ड वोकल कथित पत्रकारों की सोशल मीडिया टाइमलाइंस देखते हैं अजीत अंजुम मतलब इनको रामनवमी रैली के लोगों को नफरती कहने में एक सेकंड नहीं लगता उनके खिलाफ आवाज बुलंद करने की यह प्रशंसा कर रहे हैं पर बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुए कट्टरपंथियों द्वारा हमले पर इनकी आवाज निकलनी बंद हो गई है। रवीश चाचा का अकाउंट खोला तो वहां भी सन्नाटा सा दिखा ममता बनर्जी के बंगाल में जल रही आग पर एक ट्वीट नहीं कहां तो चिचा कैमरा और माइक लेकर एंडरसन को खोजने हिंडन नदी के किनारे पहुंच जाते थे और कहां ऐसी चुप्पी। अब आगे बढ़ते हुए हमने रेकी मारी पुण्य प्रसून वाजपेयी की टाइमलाइन पर वहां पहुंच कर देखा किपार्टियों की फंडिंग भ्रष्ट राजनीति और दलाली पर तो काफी चर्चाएं हो रही हैं पर यहां भी बंगाल में कट्टरपंथियों द्वारा लगाई गई आग पर कोई ट्वीट नहीं मतलब आप लोग सोचिए अगर यही आग और हिंसा बंगाल में इन कट्टरपंथियों की भीड़ की जगह हिंदुओं ने लगाई होती तो ये पूरा टूलकिट इकोसिस्टम अरफा से लेकर राणा अयूब जुबैर से लेकर स्वरा भास्कर सब एक्टिवेट होकर डरा हु मुसलमान वाला नैरेटिव खेलने लगते लेकिन आज जब वक़्फ एक्ट में बदलाव के खिलाफ बंगाल में ये कट्टरपंथी प्रदर्शनकारी पूरे बंगाल को जलाने के लिए अग्रसर हो गए हैं। तब इस इकोसिस्टम में से कोई भी शख्स आगे आकर ममता बनर्जी सरकार या वहां की पुलिस व्यवस्था पर प्रश्न नहीं खड़े कर रहा है।
दोस्तों मैं यहां पर आपको बंगाल के मुर्शिदाबाद का एक क्लिप दिखाती हूं जहां एक परिवार फूट-फूट के रो रहा है यह बताते हुए कि कैसे उनकी मिठाई की दुकान कुछ इस्लामी कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ करक लूट ली और ये दुकान इस परिवार का ओनली सोर्स ऑफ इनकम था और दोस्तों जहां हमें सिचुएशन ठीक होने की खबरें मिलनी चाहिए थी वहां पर यह खबर सामने आ रही है कि अब मालदा मुर्शिदाबाद और जंगीपुर के कुछ हिस्सों में फिर से हिंसा भड़क उठी है ऐसे में बीजेपी के नेता सुकंत मजूमदार का यह कहना है कि आप खुद ही सुनिए देखिए पुलिस कुछ नहीं कर रही पुलिस चुपचाप बैठी रही है ममता बनर्जी के निर्देश से और ममता बनर्जी बांग्लादेश बनाने की कोशिश यहां पे कर रही है हिंदुओं को डराने के लिए कोशिश करेगी तो दोस्तों इससे पहले बंगाल में लगी यह आग और बढ़ जाए देखना यह होगा कि क्या ममता बनर्जी की सरकार इस पर कोई कारवाई करेगी और क्या दरबारी मीडिया या उसका इकोसिस्टम इस घटना पर कुछ रिएक्ट करके अपनी सो कॉल्ड एथिकल जर्नलिज्म का उदाहरण देगा।
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