CJI BR Gavai के कांड पर AAP के Sanjay Singh की घटिया राजनीति | CJI Attack | Sach Ki Raftar
आज हम बात करेंगे उस घटना की जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी — सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश B.R. Gavai पर हुआ हमला, और फिर उसके बाद शुरू हुई AAP और Sanjay Singh की राजनीति। क्या ये हमला किसी ‘साज़िश’ का हिस्सा है, जैसा Sanjay Singh कह रहे हैं? या ये सिर्फ एक व्यक्ति की मानसिकता थी, जिसे राजनीति का रूप दे दिया गया?”
“दोस्तों, कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने कोर्ट की कार्यवाही के दौरान मुख्य न्यायाधीश B.R. Gavai पर हमला करने की कोशिश की।
रिपोर्ट्स के मुताबिक उस व्यक्ति ने CJI पर जूता फेंकने की कोशिश की, जिससे कोर्ट रूम में अफरा-तफरी मच गई। उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया। इस घटना की पूरे देश में कड़ी निंदा हुई — वकीलों से लेकर बार काउंसिल तक सभी ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का अपराध नहीं, ये न्यायपालिका की गरिमा पर हमला है।”
“अब सवाल ये है कि जब अदालत जैसी पवित्र जगह में, संविधान के मंदिर में ऐसी घटना होती है —तो क्या इसे हम हल्के में ले सकते हैं? नहीं!
लेकिन इसी के साथ एक और बात —किसी एक व्यक्ति की गलती को पूरे समाज, या पूरी सरकार पर थोप देना भी उतना ही गलत है। जो भी आरोपी है, उसे कानून सज़ा देगा। लेकिन हमें इस बात से भी सावधान रहना होगा कि कहीं कोई राजनीतिक ताकत इस घटना को अपने फ़ायदे के लिए तो नहीं इस्तेमाल कर रही।”
आम आदमी पार्टी के “Sanjay Singh ने इस घटना पर ट्वीट किया और एक वीडियो जारी की , ‘अगर भारत को बचाना है तो BJP रूपी नफरती साँप को कुचलना होगा…
यह हमला मोदी सरकार, BJP और RSS की साज़िश है… CJI को अपमानित करने वाले BJP की नफरती फौज हैं।’
अब सोचिए — एक घटना, जो अदालत के अंदर हुई, जिसमें एक व्यक्ति शामिल था, उसे सीधे BJP, RSS या सरकार की साज़िश बता देना —क्या ये ज़िम्मेदार राजनीति है? या फिर ये जनता की भावनाओं को भड़काने का तरीका है?” क्युकी जिस वकील ने जूता फेकने की कोशिश की वो अपनी धार्मिक भावनाये आहात होने की वजह से ऐसा किया,
आप सभी को याद होगा CJI गवाई ने जो अपमानजनक टिपणी हिन्दुओ के पूजनीय देवता विष्णु भगवान् के लिए की थी।
“Sanjay Singh ने ये भी कहा कि ‘CJI पर हमला संविधान की आत्मा पर हमला है।’ सवाल ये नहीं कि ये हमला गलत है या सही —सवाल ये है कि क्या हर घटना को ‘राजनीतिक रंग’ देना ज़रूरी है? क्या यही राजनीति की नई परिभाषा बन गई है —जहाँ तथ्य बाद में आते हैं, ट्वीट पहले?”
“अब एक बड़ा सवाल सामने आया है —कुछ लोग कह रहे हैं
कि CJI ने जो अपमानजनक टिपणी हिन्दुओ के पूजनीय देवता विष्णु भगवान् के लिए की थी जिससे हिन्दू समाज आहत हुआ। अगर ऐसा है, तो पूछना बनता है — क्या भारत में कोई भी न्यायाधीश किसी धर्म के देवी-देवताओं पर टिप्पणी कर सकता है?
क्या अगर ऐसी टिप्पणी इस्लाम धर्म या किसी दूसरे धर्म पर की जाती, तो वही लोग चुप रहते? संजय सिंह चुप रहते नहीं, बिल्कुल नहीं! देश में कानून सबके लिए बराबर है और फिर न्याय के पद पर बैठे व्यक्ति के लिए तो जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।”
“एक और कहानी फैलाई जा रही है — कि यह हमला इसलिए हुआ क्योंकि CJI दलित हैं। अब भाई, सोचिए ज़रा —जब कोई व्यक्ति भारत का Chief Justice of India बन जाता है, तो क्या वो किसी जाति का प्रतिनिधि रह जाता है? नहीं! वो संविधान का प्रतिनिधि बन जाता है। उसकी पहचान फिर सिर्फ उसकी कुर्सी और कर्तव्य से होती है। किसी व्यक्ति पर हमला अगर होता है, तो उसका संबंध उसकी जाति से नहीं — उसके पद से होता है। इसलिए ‘दलित बनाम सवर्ण’ या ‘हिन्दू बनाम कोई और’ का नैरेटिव बनाना, सीधे-सीधे जनता को बांटने की कोशिश है।”
“ये सब जानते हैं कि देश में चुनावी माहौल शुरू हो चुका है। और जब भी कोई संवेदनशील घटना होती है, तो संजय सिंह जैसे लोग उसे सियासी टूलकिट की तरह इस्तेमाल करते हैं। Sanjay Singh का ये ट्वीट भी उसी टूलकिट कोशिश का हिस्सा लगता है —जहाँ BJP को निशाना बनाकर एक बार फिर ‘दलित बनाम हिन्दू’ या ‘न्याय बनाम सरकार’ की बहस को हवा दी जा रही है। लेकिन सच्चाई ये है कि —
ये हमला किसी दल की नहीं, एक व्यक्ति की गलती थी।
उस व्यक्ति की विचारधारा गलत हो सकती है, पर उसे पूरा सिस्टम बताना सरासर भड़काऊ राजनीति है।”“हमारे देश में हर धर्म, हर समुदाय, हर व्यक्ति को सम्मान का अधिकार है।
CJI का पद किसी एक धर्म या जाति का नहीं —पुरे भारत का है। अगर संजय सिंह जैसे नेता इस तरह की घटनाओं को धर्म, जाति या सियासत की आग में झोंकना चाहता है —तो हमें संजय को समझना होगा कि इस तरह की घटिया राजनीति की अब इस देश को जरूरत नहीं है। देश के प्रधानमंत्री मोदी कभी भी “छूआछूत” की बात नहीं करते है
परन्तु आप जैसे नेता जानबूझ कर देश के लोगो में “छूआछूत युग” की बात करके देश के दलितों को अपमान करने की कोशिश करना आपकी घटिया राजनीती की चरमसीमा है।
“तो दोस्तों, क्या आपको लगता है कि Sanjay Singh ने इस मुद्दे को राजनीति का रूप दे दिया? या फिर उनकी बातों में सच्चाई है? कमेंट में बताइए अपनी राय, वीडियो को लाइक कीजिए, शेयर कीजिए, और ऐसे ही सच्ची, निर्भीक आवाज़ सुनने के लिए Sach Ki Raftar को सब्सक्राइब करना न भूलिए!
जय हिंद 🇮🇳”
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